डॉ.अजय कुमार यादव*
पर्यटन किसी भी देश के आर्थिक विकास और रोजगार सृजन का एक महत्वपूर्ण कारक है।भारत एक ऐसा देश है जिसके पास पर्याप्त मात्रा में ऐतिहासिक स्थल, भौगोलिक विविधताएं, जलवायु भिन्नताएं और प्राकृतिक आहार उपलब्ध हैं। अतः भारत के पास पर्यटन के क्षेत्र में असीम संभावनाएं हैं। कोरोना वायरस के वजह से भारत में पर्यटन क्षेत्र पर गहरा असर हुआ और पर्यटकों को संख्या में भारी गिरावट देखी गई। कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए लगाए गए यात्रा प्रतिबंधों की वजह से 2020 में तीस लाख से भी कम विदेशी पर्यटक भारत आए और यह संख्या 2019 की तुलना में 75 प्रतिशत कम है। परंतु महामारी के पश्चात एक बार फिर पर्यटकों को संख्या बढ़ रही है।
वर्ल्ड ट्रैवल एंड टूरिज्म काउंसिल (WTTC) द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2022 में, भारत की अर्थव्यवस्था में भारत के यात्रा और पर्यटन क्षेत्र का योगदान Rs.15.7 ट्रिलियन था। वहीं साल 2023 के अंत तक ये Rs.16.5 ट्रिलियन हो जाने का अनुमान लगाया गया था। वहीं इस रिपोर्ट पर डब्ल्यूटीटीसी की अध्यक्ष और सीईओ जूलिया सिम्पसन ने कहा था, “अगले दस वर्षों के लिए हमारा पूर्वानुमान लगभग Rs.37 ट्रिलियन का है।’’ इसी रिपोर्ट के अनुसार साल 2022 में पर्यटन के क्षेत्र में कुल 37.2 मिलियन लोगों को रोजगार मिला। वही साल 2023 के अंत तक इस आकड़े के 39 मिलियन होने का अनुमान लगाया गया । रिपोर्ट के अनुसार डोमेस्टिक पर्यटकों द्वारा पर्यटन में खर्च की जाने वाली कुल राशि Rs. 12.3 ट्रिलियन और इंटरनेशनल पर्यटकों द्वारा खर्च की गई राशि 1.6 ट्रिलियन है। अनुमान किया गया कि 2023 के अंत तक यह राशि क्रमशः Rs.12.6 ट्रिलियन और Rs.2 ट्रिलियन होगी। साथ ही बताया गया की अगले दस सालों में ये आंकड़े क्रमशः Rs. 28.7 ट्रिलियन और Rs. 4.1 ट्रिलियन हो जाएंगे।
स्टेटिस्टा एक जर्मन ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म है उसकी रिपोर्ट के अनुसार,वैश्विक स्तर पर, सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में यात्रा और पर्यटन का प्रत्यक्ष योगदान वर्ष 2022 में लगभग 7.7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर था। अगस्त 2023 में आयोजित रोज़गार मेले को संबोधित करते हुए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि साल 2030 तक अकेले भारत का पर्यटन 130 से 140 मिलियन नई नौकरियाँ पैदा करेगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि वर्ष 2030 तक पर्यटन क्षेत्र की ओर से भारतीय अर्थव्यवस्था में 20 ट्रिलियन रुपए के योगदान की उम्मीद है। भारत सरकार साल 2047 तक पर्यटन क्षेत्र के उत्पाद को 1 ट्रिलियन USD तक बनाने की कोशिश में है जिसमे इंटरनेशनल पर्यटकों की संख्या को 100 मिलियन तक ले जाने की उम्मीद है।
देश में पर्यटन स्थलों को विकसित करने के लिए भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय द्वारा स्वदेश दर्शन योजना 2015 में लॉन्च किया गया था। यह 100% केन्द्र पोषित योजना है। यह योजना विषयगत पर्यटन सर्किट के एकीकृत विकास के उद्देश्य से पर्यटन और संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा शुरू की गई । कुल 76 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। पर्यटन मंत्रालय ने गंतव्य और पर्यटन-केंद्रित दृष्टिकोण का पालन करते हुए स्थायी और जिम्मेदार पर्यटन स्थलों को विकसित करने के उद्देश्य से स्वदेश दर्शन योजना को स्वदेश दर्शन 2.0 (SD2.0) के रूप में नया रूप दिया है। योजना दिशानिर्देशों के अनुरूप, संबंधित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश राज्य परिप्रेक्ष्य योजना तैयार करता है और पर्यटन मंत्रालय तदनुसार विकास के लिए गंतव्य का चयन करता है। मंत्रालय ने एसडी 2.0 के तहत विकास के लिए देश में 57 गंतव्यों को अधिसूचित किया है, जिसमे लक्षद्वीप भी शामिल है। स्वदेश दर्शन को 500 करोड़ के प्रारंभिक परिव्यय के साथ शुरू किया गया था और साल 2014–15 से 2018–19 तक 5455.69 करोड़ की राशि स्वीकृत की जा चुकी है।
पर्यटन मंत्रालय ‘तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक विरासत संवर्धन अभियान‘ Pilgrimage Rejuvenation and Spiritual Heritage Augmentation Drive’ (PRASHAD) योजना के तहत वित्तीय सहायता प्रदान करता है। पर्यटन स्थलों पर बुनियादी ढांचे के विकास के लिए राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेश प्रशासनों को सहायता दी जाती है। मंत्रालय ने अभी तक 1629.17 करोड़ रुपये की लागत से कुल 46 परियोजनाओं को मंजूरी दी। इसके अलावा, विकास के लिए कुल 26 नए स्थलों की भी पहचान की गई है। ‘एडॉप्ट ए हेरिटेज’ (Adopt a Heritage) पर्यटन मंत्रालय द्वारा विश्व पर्यटन दिवस के मौके पर 27 सितंबर, 2017 को ‘एडॉप्ट ए हेरिटेज’ की शुरुआत की गई थी। यह भारतीय पर्यटन मंत्रालय, भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग तथा राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों के मध्य पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु शुरू की गई एक सहयोगी योजना है। इसमें हमारे समृद्ध और विविध विरासत स्मारकों को पर्यटन मैत्री बनाने की क्षमता है। यह योजना भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) के प्रमुख स्मारकों में शुरू की गई है, जिसके तहत अभी तक देश के 95 स्मारकों को शामिल किया जा चुका है। Adopt a heritage 2.0 एडॉप्ट ए हेरिटेज 2.0 कार्यक्रम का उद्देश्य कॉर्पोरेट हितधारकों के साथ सहयोग को बढ़ावा देना है जिसके माध्यम से वे अगली पीढ़ियों के लिये इन स्मारकों के संरक्षण में योगदान दे सकते हैं। भारत सरकार और संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (यूएनडब्ल्यूटीओ) ने गोवा में जी-20 पर्यटन मंत्रियों की बैठक की पृष्ठभूमि में सहयोग बढ़ाने और आपसी हित के क्षेत्रों की पहचान करने के लिए एक समझौता ज्ञापन(MoU) पर हस्ताक्षर किए।
एयरबीएनबी द्वारा भारत की विरासत को प्रदर्शित करने और सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किया गया।अंतरिम बजट 2024 में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पर्यटन क्षेत्र के लिए 2,449.62 करोड़ रुपये आवंटित किया, जो चालू वित्त वर्ष के संशोधित आंकड़े की तुलना में 44.7% की वृद्धि है। यह 2023 के केंद्रीय बजट से एक सकारात्मक बदलाव है, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रतिष्ठित पर्यटन केंद्रों और आध्यात्मिक पर्यटन स्थलों के विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत को वैश्विक पर्यटन केंद्र बनाने की योजना की घोषणा की। विशेष रूप से लक्षद्वीप में बंदरगाह कनेक्टिविटी, पर्यटन बुनियादी ढांचे और सुविधाओं पर जोर दिया जाएगा। सरकार राज्यों को विकास के लिए ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराएगी। यात्रा और पर्यटन क्षेत्र ने 2022 में भारत की अर्थव्यवस्था में 15.7 लाख करोड़ का योगदान दिया और 2030 तक 137 मिलियन लोगों के लिए नौकरियां पैदा करने और सकल घरेलू उत्पाद में 250 बिलियन डॉलर जोड़ने की उम्मीद है। भारत सरकार के इन योजनाओं के साथ विकसित भारत के मूल मंत्र,“सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, और सबका प्रयास” की नींव पर यह उम्मीद लगाई जा रही है की आजादी की शताब्दी यानी कि साल 2047 तक या उसके पूर्व ही भारत एक पूर्ण विकसित राज्य के रूप में निखरेगा तथा इस उज्जवल भविष्य में पर्यटन की अहम भूमिका रहेगी।
*सहायक प्राध्यापक, सत्यवती महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय
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