मोदी 2.0 : महिला नेतृत्व में विकास

उजाला दूबे

हाल ही में भारत ने अपनी G-20 अध्यक्षता के दौरान समावेशी विकास और साथ ही साथ  सतत् विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में प्रगति, पर्यावरण के अनुकूल विकास, तकनीकी नवाचार और बहुपक्षीय संस्थानों के पुनर्गठन के साथ-साथ “महिला नेतृत्व में विकास” को छ: केंद्रीय बिंदुओं के रूप में नामित किया। यह भारत के भीतर एक प्रमुख नीतिगत मुद्दे के रूप में लैंगिक समानता को संबोधित करने के स्थायी महत्त्व को मान्यता का प्रतीक बना।

महिला नेतृत्व में विकास

वर्तमान परिप्रेक्ष्य में महिलाओं के संदर्भ में महिला नेतृत्व के विकास में सरकार द्वारा कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाएं गए हैं। जो इस प्रकार हैं :- 

  • “महिलाओं के नेतृत्व में विकास” एक विकास दृष्टिकोण को संदर्भित करता है। जिसमें महिलाएं अग्रणी भूमिका निभाती है और किसी समाज या समुदाय की आर्थिक, सामाजिक तथा राजनीतिक प्रगति में सक्रिय भिमिका निभाती है।
  • महिला नेतृत्व के विकास के तहत महिलाएं केवल विकास की लाभार्थी नहीं है, बल्कि वे नेतृत्वकर्ता के रूप में विकास का एजेंडा तय करने और विकास योजना के निर्माण तथा निर्णयन में भागीदारी करती हैं।
  • इसमें सामाजिक-आर्थिक विकास और सतत् विकास लक्ष्यों की उपलब्धियों को बढ़ावा देने के लिए महिलाओं को भी अग्रणी पदों में नियोजित करने पर ध्यान केंद्रित करना है।
  • इस दृष्टिकोण का उद्देश्य लैंगिक समानता के महत्त्व को पहचानने के साथ-साथ  उन बाधाओं को दूर करना है, जिन्होंने ऐतिहासिक रूप से विकास के विभिन्न पहलुओं में महिलाओं की भागीदारी और योगदान को सीमित कर दिया है।

लैंगिकता की प्राथमिकताओं में शीर्ष पर

  • व्यापक लैंगिक अंतर : ‘ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट’, 2023 में भारत को 146 देशों में से 127वां स्थान दिया गया था। और कार्यबल से “महिलाओं की अनुपस्थित होने की” सार्वकालिक समस्या का सामना करता है, जो एक बड़ी समस्या है।
  • समावेशी निर्णय निर्माण : महिलाओं के नेतृत्व में विकास समावेशी निर्णय-निर्माण की संरचनाओं को बढ़ावा देता है। जिसमें सामुदायिक योजना, संसाधन आवंटन और नीति-निर्माण में महिलाओं को शामिल किया जाता है। यह समावेशिता समुदाय के भीतर विविध आवश्यकताओं और दृष्टिकोणों को संबोधित करने में सहायता करती है।
  • सामुदायिक विकास : जब महिलाओं की संसाधनों तक पहुँच होती है, तो वे पुरुषों की तुलना में परिवार और समुदायों की शिक्षा और स्वास्थ्य में ज्यादा निवेश करती है। पंचायती राज संस्थाओं में विभिन्न सामुदायिक विकास परियोजनाओं को महिलाओं ने शुरू करने के साथ उन्हें क्रियान्वित किया है। इसमें जल प्रबंधन, स्वच्छता, ग्रामीण बुनियादी ढांचे और गरीबी उन्मूलन से संबंधित पहल शामिल है।  
  • सतत् विकास : महिलाओं के नेतृत्व में विकास को सतत् विकास लक्ष्यों के साथ जोड़ा जाता है। पर्यावरण के अनुकूल और सामाजिक रूप से जिम्मेदार प्रथाओं को बढ़ावा देकर यह महत्त्वपूर्ण पहल समुदाय के दीर्घकालिक कल्याण में योगदान करती है।
  • गुणक प्रभाव : भारतीय अर्थव्यवस्था पर महिलाओं का नेतृत्व में विकास का गुणक प्रभाव पड़ता है। मैकिन्से के एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत अपने सकल घरेलू उत्पाद में 18 प्रतिशत तक का इज़ाफा कर सकता है। बशर्तें कि वह देश में महिला कार्यबल की भागीदारी में सुधार कर लैंगिक समानता के अंतर को समाप्त करें। Description: C:\Users\HP\Downloads\digram.png0 (1).PNG

महिलाओं के नेतृत्व में विकास को लेकर प्रमुख चुनौतियाँ :-

  • गहरी जड़े जमा चुकी पितृसत्ता :  भारत में पितृसत्तात्मक मानदंड और सामाजिक संरचनाएँ गहरी जड़े जमा चुकी हैं। जो महिला सशक्तिकरण और नेतृत्व में बाधा बनती हैं। इन सांस्कृतिक दृष्टिकोण और व्यवहारों को बदलना एक बड़ी चुनौती है।
  • लिंग आधारित हिंसा : भारत में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की दर दुनिया में सबसे अधिक है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरों (NCRB) के अनुसार वर्ष 2021 में भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 4.05,861 मामलें सामने आये। जिनमें से 32,033 के मामलें बलात्कार के थे।
  • संसाधन आवंटन : महिलाओं के नेतृत्व में विकास पहलों के लिए संसाधन का आवंटन और यह सुनिश्चित करना कि वे इच्छित लाभार्थियों तक पहुँचे प्रशासनिक अक्षमताओं और भ्रष्टाचार के कारण चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
  • कृषिजनगणना से पता चलता है कि वर्ष 2015-16 में महिला भूमि मालिकों की संख्या केवल 13.9 प्रतिशत थी।
  • राजनीतिक अल्प-प्रतिनिधित्व : स्थानीय स्तर सहित राजनीतिक भूमिकाओं में महिलाओं को कम प्रतिनिधित्व दिया जाता है। महिलाओं की अधिक राजनीतिक भागीदारी को प्रोत्साहित करना एक चुनौती है।
  • भारतीय संसद में केवल 82 महिला लोकसभा में (15.2 प्रतिशत) और राज्यसभा में (13 प्रतिशत) सदस्य हैं।
  • डेटा संग्रह और विश्लेषण : महिलाओं की स्थिति और नीतियों के प्रभाव पर विश्वसनीय डेटा एकत्र और विश्लेषण करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। जिससे प्रगति को मापना मुश्किल हो जाता है।
  • कानूनी प्रवर्तन : हालांकि भारत ने महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए विभिन्न कानून बनाये हैं। इन कानूनों का कार्यान्वयन असंगत हो सकता है, जो न्याय और जबावदेही के लिए चुनौती बन सकता है।

महिलाओं के नेतृत्व में विकास को बढ़ावा देने वाली सरकारी पहलें :-

  • महिला आरक्षण अधिनियम
  • स्टैंड-अप इंडिया
  • प्रधानमंत्री मुद्रा योजना
  • बेटी बचाओं, बेटी पढ़ाओ
  • प्रधानमंत्री जनधन योजना
  • राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन
  • प्रधानमंत्री आवास योजना
  • प्रसूति अवकाश

आगे की राह क्या होनी चाहिए ?

  • नेतृत्व और निर्णय लेना : भारत को जमीनी स्तर पर महिलाओं पर विशेष ध्यान देने के साथ राजनीतिक प्रणालियों और शासन में महिलाओं के नेतृत्व एवं सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा देनी चाहिए।
  • शिक्षा और कौशल : भारत को विशेष रूप से STEM क्षेत्रों में महिलाओं के लिए शिक्षा निवेश और पहुँच बढ़ाने पर ज़ोर देना चाहिए।
  • महिला उद्यमियों को सशक्त बनाना : महिला उद्यमियों को बढ़ावा देने और महिलाओं के स्वामित्व वाले तथा महिलाओं के नेतृत्व वाले सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) का समर्थन करने पर लगातार ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।
  • अदृश्य कार्य को पहचानना : घरेलू कार्यों की पहचान और उन्हें मान्यता देकर अर्थव्यवस्था और सामाजिक सुरक्षा में निवेश करने तथा सकल घरेलू उत्पाद को फिर से परिभाषित करने की आवश्यकता है।
  • जलवायु और खाद्य सुरक्षा में महिलाओं की भूमिका : भारत की जलवायु संबंधी लचीलेपन के साथ परिस्थितिकीय तंत्र के निर्माण में महिलाओं की भागीदारी के महत्त्व पर प्रकाश डालना चाहिए। जलवायु परिवर्तन खाद्य सुरक्षा और पोषण से निपटने में महिलाओं की भूमिका को पहचानना और बढ़ावा देना।
  • बदलती मानसिकता : भारत में महिलाओं के नेतृत्व में विकास सुनिश्चित करने के लिए समाज की मानसिकता को बदलना आवश्यक है। महिलाओं के नेतृत्व को महत्त्व देने और उन्हें सशक्त बनाने के लिए जागरूकता का प्रसार करना और शिक्षा को बढ़ावा देना आवश्यक है।

उपसंहार

भारत को एक प्रगतिशील और लैंगिक समानता वाला समाज सुनिश्चित करने के लिए राजनीतिक प्रतिबद्धताओं से कहीं अधिक ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। महिलाओं के नेतृत्व में विकास को साकार करने के लिए समान अवसरों और बुनियादी जरूरतों को पूरा करना आवश्यक है। देश में समावेशी और सतत् विकास के लिए सभी स्तरों पर महिलाओं को बढ़ावा देना महत्त्वपूर्ण है।


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